क़लम लिखो उन वीरों को अब

तन-मन जिन्होंने देश को सौंपा,
जिनको मिला सुनहरा मौका,
देश पे जान लुटाने का,
वैसा भाग्य मिले किसको कब,
कलम लिखों उन वीरों को अब।

नभ-अम्बर भी बौना पर गए,
देश के खातिर सबसे लड़ गए,
आंखों में आसूं आ जाते,
याद करें कुर्बानी को जब,
कलम लिखों उन वीरों को अब।

मां के आंखों के वे तारे,
आज बन गए अमर सितारे,
आसमान मे जगमग चमके,
रौशन कर दें ये सारा जग,
कलम लिखों उन वीरों को अब।

बादल से भी ऊंचे हो गए,
भारत की सरहद पे खो गए,
उनको याद करें आज हम,
उनको करें प्रणाम आज सब,
कलम लिखों उन वीरों को अब।

                      - आदित्य कुमार
                           "बाल कवि"

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