गुटकाछाप

भारत का है ऐसा हाल,
चारों ओर से घेरा काल,
हीरो फिल्म छोड़ के देखो,
गुटका खाने कहते है,
इन गुटकाछापों के चाल ही,
देश डुबाया करते है।
साढ़े तीन लाख के केसर,
पांच रुपए मे देते है,
है आश्चर्य ये मूर्खों के राजा,
ऐसा कैसे कर लेते है।
हाल बड़ा बेहाल यहां है,
घर के चोर डकैतों से,
किसी दिन ये कीड़े बेचेंगे,
हम लोगों को पैसों पे।
गुटका के प्रचार से बेहतर,
नाली का प्रचार करो,
ओ गुटकाछाप कलाकारों,
बेहतर होगा भारत छोड़ो।

       - आदित्य कुमार
            (बाल कवि)


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