रचना का बंटवारा

धर्म और मजहब के पंथी लड़ रहे आपस में है
मसला है आखिर ये दुनिया जाने किसके बस में है
इस विवादित मामले का एक ही निष्कर्ष है 
बाकी इसको छोड़कर सब व्यर्थ ही संघर्ष है

और वो निष्कर्ष है सब आधा आधा बांट लो
बंट के भी लेकिन सुनिश्चित हो कि सब एक साथ हो
मान लो आधी है रचना हिन्दू के भगवान की 
और है बाकी की रचना खुदा-ए-इस्लाम की

एक ने सूरज बनाया दूसरे ने चंद्रमा 
एक ने धरती बनाई दूसरे ने आसमां 
एक ने बादल बनाया दूसरे ने घास को 
एक ने जठराग्नि को दूसरे ने प्यास को

एक ने फसलें बनाई दूसरे ने पेड़ को 
एक ने खरहा बनाया दूसरे ने शेर को
एक ने जंगल बनाया दूसरा मैदान को 
एक ने तारे बनाए दूसरा ब्रह्मांड को 

एक ने आँखें रची है दूसरे ने कान को 
एक ने दांतों को रचा दूसरा जुबान को 
एक ने हाथों को रचा दूसरे ने पांव को 
एक ने रचा शहर को दूसरे ने गांव को

एक ने अग्नि बनाई दूसरे ने नीर को 
एक ने धनुष बनाया दूसरे ने तीर को
एक ने पिधान रचा दूसरा शमशीर को
एक ने ज्ञानी को रचा दूसरे ने वीर को 

धर्म और मजहब का मसला बस यहीं पे खत्म हो 
राम भी रहमान भी दोनों को ही तुम मान लो 
मान लो कि आधी दुनिया को रचा है राम ने 
मान लो बाकी की दुनिया है बनी रहमान से।

आधे आधे से ही बनकर हो सका सब पूर्ण है 
किन्हीं की अवमानना प्रभु के नजर में जुर्म है।

               - आदित्य कुमार 
                   (बाल कवि)



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