ए हिन्द मैं फिर से आऊंगा।

ए हिन्द मैं फिर से आऊंगा,
झंडा फिर से फहराऊंगा,
ये जनम तुझी पे वारा है,
हर जनम तुझी पे लूटाऊंगा,
ए हिन्द.............. फहराऊंगा।

उस जीवन का है मजा ही क्या,
जो तुझ पे ना कुर्बान किया,
हर जनम मिले तेरी गोद मे ही,
मैं लाल तेरा कहलाऊंगा,
ए हिन्द.............. फहराउंगा।

है खून से लथपथ काया पड़ी,
पर दर्द नहीं है जड़ा सा भी,
हूं गर्व से सांसे छोड़ रहा,
अब सांस नई फिर लाऊंगा,
ए हिन्द.............. फहराऊंगा।

तेरे नदियों के गीतों के लिए,
तेरी माटी से प्रीतों के लिए,
तेरे वन उपवन बिन रह ना सकूं,
फिर पास मैं इनके आऊंगा,
ए हिन्द.............. फहराऊंगा।

तेरी स्वर्ग सी भूमि के खातिर,
मैं लौटूंगा फिर बन के वीर,
दुश्मन जब आंख उठाएंगे,
मिट कर भी उन्हे मिटाऊंगा,
ए हिन्द............... फहराऊंगा।

ये रंग बिरंगा वतन मिले,
मिटने पे तिरंगा कफ़न मिले,
बस चाह है इतनी सी मन में,
लाखों हो जन्म ए देश मेरे,
हर जनम तुझी को अर्पित है,
ए लाल तेरा ए भारत मां,
तुझको हर बार समर्पित है,
दुनिया के हर एक कोने मे,
तेरी ही गाथा गाऊंगा,
ए हिन्द मैं फिर से आऊंगा,
फिर से झंडा फहराऊंगा।

               - आदित्य कुमार
                    (बाल कवि)

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