कवि परिचय-2
मै कवि हूं सच लिखने वाला,
जो दिखता है वो लिखता हूं,
मेरे यार शब्द कहलाते है,
शब्दो से हरदम सीखता हूं,
प्रत्येक शब्द को जोड़ जोड़,
कुछ तो नया बनाता हूं,
वातावरण को कलमों से,
लिख कर कवि कहाता हूं,
मानव के दुख से लेके,
सुख तक पन्ने पे लाता हूं,
कुछ चंद पंक्तियों में मै तुमको,
किस्सा पूरा बतलाता हूं,
हास्य काव्य या दुख हो भरा,
हर कविता को मै लाता हूं,
दूजो के ग़म और खुशी,
लिख कर मै कवि कहाता हूं,
चेहरों पे मुस्कान रहे,
कविताओं में शब्द रहे ऐसे,
और यदि भरा हो दुख कविता में,
मुंह से निकले इसे सहे कैसे।
कभी लिखूं सरहद पे तो,
कभी लिखूं देश के अंदर का,
कभी लिखूं मै रेगिस्तान पे,
कभी लिखूं जीवनी समंदर का,
शब्द सदा मेरे मस्तिष्क में रहे,
शब्दो से रोज़ नहाता हूं,
यही है एक परिचय मेरा,
इस खातिर कवि कहाता हूं।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"