कलम-4
कलमो से खेल खेल के बच्चो,
सीखो कैसे आगे बढ़ना,
ना मार्ग कोई रोके पर्वत,
सीखो पर्वत पे कैसे चढ़ना,
तकदीर बदल दे यही कलम,
तस्वीर बदल दे यही कलम,
हथियार बने रण में ये कलम,
शमशीर बदल दे यही कलम,
रण में मानो हथियार कलम,
जीवन में मानो प्यार कलम,
पग पग पे साथ ये देता है,
सबसे अच्छा है यार कलम,
हाथो मे कलम पकड़ना है,
कलम से ही तुम्हे लड़ना है,
शांति क हथियार कलम है,
पकड़ के इसे निखरना है,
हम मानव की पहचान कलम,
हम मानव का अभिमान कलम,
सिद्ध करे हमारा जीवन,
इश्वर का वरदान कलम,
बचपन की है हंसी कलम,
हम युवाओं का है जोश कलम,
वृद्धों की लाठी है कलम,
सब पढ़े लिखो का होश कलम,
कलम से ही संसार चले,
धन की एक मात्र ये कुंजी है,
ताकत और सम्मान कलम,
केवल मेहनत की पूंजी है।
सब कुछ यहां एक मात्र कलम है,
इसे पकड़ जीवन को चुनना,
ना कोई दूजा और मार्ग है,
इससे अपने सपने बुनना।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"