नववर्ष

इस साल बहुत ग़म मिले हमे,
अनमोल रत्न सब खोया है,
लाखों पाके भी हमने,
उस रत्न के खातिर रोया है,

उम्मीद है करते साल नया,
कुछ तो अच्छा जाएगा,
लेकिन जो खोया है हमने,
वो लौट के नाही आएगा,

फिर भी हमने हिम्मत बांधा,
आगे जीवन को जिया हमने,
ये बिल्कुल सच है सन् 2022 में
विकराल जहर पिया हमने,

शुरू हुई जनवरी मे मैंने,
दादाजी को खोया है,
साल का पहला महीना ही ऐसा,
किस्मत के कहर को ढोया है,

ए खुदा गुज़ारिश करता हूं,
वो वक्त दुबारा ना आए,
परिवार में कोई बिछड़े ना,
ना कोई छोड़ हमे जाए,

खैर चलो अब छोड़ इन्हे,
नववर्ष की खुशियां मनाते है,
जीवन के समीकरण को हमे,
एक साथ चलो सुलझाते है।

इस बार चलो नववर्ष पे,
एक नया संकल्प उठाते है,
ना कोई निराश रहे हमसे,
अच्छे मानव कहलाते है।

भूल चले पिछली बातों को,
सबको मित्र बनाते है,
ना शत्रु कोई रहे हमारा,
सब पे प्यार लुटाते है,
इन गुणों को अपना के मित्रो,
चलो नववर्ष मनाते है।

                     - आदित्य कुमार
                        "बाल कवि"



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