मेरा भारत और इसकी सभ्यता

एक सवाल मै पूछ रहा हूं क्यों फूलों से सूल बने,
पश्चिम सभ्यता को अपनाया अपना संस्कार क्यों भूल गए
दूजो के समक्ष झुकना है हमे, हेल्लो हाय तुम करते हो,
अपनों से बिछड़ रहे हो तुम बस मोबाइल में रहते हो।

मेरे भारत ने ना कभी सिखाया पिता से मुंह लड़ाना है,
मेरे भारत ने ना कभी सिखाया अपनी मर्जी करते जाना है,
बड़ो कि हां में हां करना और नहीं में ना करना सीखो,
बड़ा प्यारा लगेगा स्वदेश एक बार संस्कार अपना के देखो।

एक दूजे से मिल जुल कर रहना शायद अब हम भूल रहे,
सब युद्ध सिखाने आते है शांति की बाते कौन कहे,
प्रण करो की अपने संस्कार को वापस भारत लाना है,
सब के समक्ष झुकना है हमे ये सीखना और सिखाना है।


                                                   - आदित्य कुमार

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