भाई
लक्ष्मण सा भाई बनो यारो,
कदम से कदम मिलाने को,
परशुराम सा काल भी हो,
तत्पर हो शीश गिराने को।
सौभाग्य राम के लाखों थे,
जो ऐसे भाई का प्यार मिला,
एक ओर भरत ने इनके खातिर,
त्यागा जो सरकार मिला।
भ्राता के खातिर जिस भाई ने,
गद्दी को ठुकराया हो,
जो भाई अपने भाई के खातिर,
काल से भी टकराया हो।
सत्य सनातन धर्म मेरा,
जहां ऐसे भाई पाए जाते है,
जहां बड़े भाई के रहते ना,
गद्दी अपनाए जाते है।
पर इस कलयुग में लोग यहां,
ऐसे राहों पे चलते है,
जहां भाई गद्दी के खातिर,
भाई के हत्यारे मिलते है।
कुछ पापी आए थे माना,
ग़लत राह दिखलाने को,
प्रयत्न किया पूरा,
राम लखन का प्रेम झुठलाने को।
समझ नहीं आता कैसे ये,
इतना कुछ कर जाते है,
भाई को मार के मिले जो,
गद्दी वो कैसे अपनाते है।
भाई से ईर्ष्या करने वाले,
तुम शायद इन्सान नहीं,
भाई के शत्रु हो यदि तुम,
तो तुम सा कोई बदनाम नहीं।
- आदित्य कुमार