बेच रहे ईमान

दुख में पड़े मां- बाप है पत्थर है भगवान,
मानवता को बेच दिया है बेच रहे ईमान।
घर में पाप कि गठरी रखते अपवित्र बना शमशान,
मानवता को बेच दिया है बेच रहे ईमान।

मन में सबसे घृणा हो रखते मुख पे हरदम राम,
मानवता को बेच दिया है बेच रहे ईमान।
झूठ पाप अब फैला धरा पर ईमान है बिकते दाम,
मानवता को बेच दिया है बेच रहे ईमान।

संस्कार भी ख़तम हो रहे, बच्चो से गायब श्याम,
मानवता को बेच दिया है बेच रहे ईमान।
नाम भले ही रख लो कृष्णा लेकिन करते कंस का काम,
मानवता को बेच दिया है बेच रहे ईमान।


                                            _ आदित्य कुमार

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