सफल बनाओ मानव वेश
निराश ना होना आश ना खोना राहों में कांटे बहुत पड़े,
हर मुश्किल से लड़ना है हमे आखिर हम इसे क्यों ही डरे,
हम हार नहीं सकते हमने जीत का वर ही पाया है,
हम क्यों मानेंगे हार इश्वर ने हमे इन्सान बनाया है।
पथ पे चलते चलते पैरों में चोट तो आते रहते है,
मंजिल तक वहीं पहुंचते है जो इन चोटों को सहते है,
क्या देखा है नन्ही चींटी को घर में बैठे खाते रहना,
संघर्ष करो संघर्ष ही धरती पे मानव का है गहना,
किरणों को भी संघर्ष किए अंधेरे से गुजरना पड़ता है
पक्षी को भी भोजन हेतु पहले तो उड़ना पड़ता है
इश्वर ने पैर दिए तो इसको ना रखो तिजोरी में,
मेहनत कर के खुद का कमाओ विश्वास रखो ना चोरी में।
चलो चलें मेहनत के पथ पे मानवता का कर्तव्य निभाए,
इश्वर ने मनुज बनाया है तो चलो जीवन को सफल बनाए,
इस कविता के माध्यम से कोने कोने तक यही संदेश,
संघर्ष ही जीवन है और हम सफल बनाए मानव वेश।
- आदित्य कुमार