अदालत संविधान और कानून

देश व्यवस्था के लिए मुझे सजाया था,
बाबा साहेब भीमराव ने प्रेम से मुझे बनाया था,
अंग्रेज़ो के बाद देश का भार उठाया था मैंने,
कैसे देश चलाना है ये बतलाया था मैंने।

लेकिन सोचा न था ऐसा समय भी आएगा,
मेरी रक्षा करने वाला ही भक्षक बन जाएगा,
अपने फायदे के लिए झूठ के बली चढ़ाया जाता है,
भारत के सांसद में मुझे सौ बार नया बनाया जाता है।

भारत के पापी मुझको मेरी औकात दिखाते है,
खुद को बचाने हेतु पैसों की भेंट चढ़ाते है,
और खुद मैं हूं कानून मुझे कानून सिखाया जाता है,
अपने फायदे हेतु मुझे अंधा बतलाया जाता है।

कुछ खामियों के चलते बदनाम किया जाता मुझको,
आंख में पट्टी है इसलिए ग़लत पहचान दिया जाता मुझको।


                                          - आदित्य कुमार

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