अंग्रेजी को जानो लेकिन हिंदी को अपनाओ
अपने भाषा को छोड़ चले हम अंग्रेज़ी अपनाने,
अंग्रेज़ी है सर्वश्रेष्ठ हिंदी को दासी बतलाने,
लुप्त हुई संस्कृत अब हिंदी भाषा की बारी है,
बिक रही है अपनी हिंदी लेकिन अंग्रेज़ी ही प्यारी है।
अनपढ़ से लेके ज्ञानी तक की सफर कराई पूरी,
ज़ेब्रा बनने कि चाहत में हिंदी हुई अधूरी,
जहां देखो ओके और हेल्लो में सब झूल गए,
चार अक्षर के नमस्कार को देखत देखत भूल गए।
अंग्रेज़ी में भीख भी मांगे अंग्रेज़ी में दान,
बाईस बहनों कि हिंदी को बना दिया मेहमान,
अंग्रेज़ी में बाते करके सभ्य पुरुष कहलाते हो,
मातृ भाषा को बेच दिया और खुद को देशभक्त बतलाते हो।
नशा बनी अंग्रेज़ी को जुबां से अपने हटाओ,
इंग्लिश को बस जानो लेकिन हिंदी को अपनाओ,
अगर मेरी ये कविता केवल कविता ही कहलाएगी,
तब वो दिन भी दूर नहीं जब हिंदी लुप्त हो जाएगी।
- आदित्य कुमार