वो एक ही है
November 03, 2022
मंदिर मस्जिद सब कुछ बांटा इन्सानों को बांट रहे,
एक दूजे को धर्म के नाम पे कुत्ते जैसे काट रहे,
अलग अलग भगवान अगर है तो मालिक है कौन,
इसी प्रश्न पे निर्मित सब लड़ते पर निर्माता है मौन।
प्रेम निरंतर कम है हो रहा नफरत है बनती आग,
उजड़ रहा है ऊपर वाले का पृथ्वी सुंदर बाग,
मत लड़ो तुम्हारी धरती है ना इसको बर्बाद करो,
कोई हो निर्माता तुम्हारा उसको धन्यवाद करो।
वहीं प्रकृति का मालिक है छांव भी वोही धूप है,
सब का संचालक एक ही है बाकिं सब उसके रूप है,
क्या उसने तुम सब को कभी लड़ने का ज्ञान दिया?
या क्या उसने नफरत करने वालों को सम्मान दिया?
वो एक ही है पर इस सृष्टि में काफी उसके नाम है,
वो ही इस्लाम का अल्लाह है और हिन्दू का भगवान है,
उसने केवल इन्सान बनाया धर्म तुम्हारे काम थे,
किसने था कहा उस रचैयता के इतने सारे नाम थे।
- आदित्य कुमार