उस दिन सैनिक कहलाता हूं
घर छोड़ के जिस दिन,
बॉर्डर पे मै गोली खाने जाता हूं,
मां के आंखो मे आंसू,
पिता को मै गर्वित कर जाता हूं,
उस दिन योद्धा बन जाता हूं,
उस दिन सैनिक कहलाता हूं।
छोड़ के सारे पर्वो को,
केवल खूनी होली मै मनाता हूं,
भारत मां के रक्षा खातिर,
दुश्मन से जब भीड़ जाता हूं,
उस दिन योद्धा बन जाता हूं,
उस दिन सैनिक कहलाता हूं।
जिस दिन लेके हथियार,
दुश्मन के खेमे में घुस जाता हूं,
जिस दिन बन भारत मां का शेर,
शत्रु का शीश गिराता हूं,
उस दिन योद्धा बन जाता हूं,
उस दिन सैनिक कहलाता हूं।
जब बूढ़ा होके एक दिन,
इस धरती में मै मिल जाता हूं,
या दुश्मन से लड़ते लड़ते,
एक दिन शहीद हो जाता हूं,
उस दिन योद्धा बन जाता हूं,
उस दिन सैनिक कहलाता हूं।
जिस दिन मैं मरता,
लोगो कि आंखे नम कर जाता हूं,
जिस दिन अपने घर पे मैं,
लाल तिरंगे मे लिपट के आता हूं,
उस दिन योद्धा बन जाता हूं,
उस दिन सैनिक कहलाता हूं।
- आदित्य कुमार