पग पीछे ना लेना है

ऊंचाई से यदि पक्षी डरते तो,
अपने पंख कैसे फैलाते वो,
सूरज के ताप से डरते तो,
अंबर में कैसे जाते वो।

संसार में जो भी आया है,
मेहनत केवल आधार है उसका,
जो बिन फल के मेहनत करता,
तो जीवन भी साकार है उसका।

चींटी भी मेहनत करती है,
हाथी ना बैठा रहता है,
मुझसे ये होगा ही नहीं,
वो कहां किसी से कहता है।

किरणों कि खोज में निकला है,
अंधेरे से क्यों डरता है,
और पर्वत पे तुझे तो जाना है,
फिर सपने पत्थर में क्यों गढ़ता है।

मेहनत को बस अपना बना,
लक्ष्मी स्वयं तेरे भाग्य में घूमेगी,
पहले जो हसती थी दुनिया,
वो कदम तुम्हारे चूमेगी।

क्या संभव और असंभव है,
वो तेरे ऊपर निर्भर है,
तू चाहे तो सब कर लेगा,
ना चाहा तो सब पतझड़ है।

तो आज के बाद सौगंध ये खा,
ना पग अपने पीछे लेगा,
"ये मुझसे ना होगा" जीवन में,
फिर कभी नहीं तू बोलेगा।

                                - आदित्य कुमार

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