सब कुछ होगा
अंधियारे में बैठा है तू,
किरणों को क्यों ना खोजता,
गिर है गया यदि राह में,
उठने कि क्यों ना सोचता।
तेरे पाओं को ऐसा बना,
बिन रोशनी के चल सके,
ऐसा बना खुद को कि,
ज्वाला में भी तू ना जल सके।
चलता जा बस चलता जा,
पीछे का पीछे रहने दे,
तू और भी मजबूत होगा,
कांटो से थोड़ा लड़ने से।
झुक जाएगा ये आसमां,
कदमों में तेरे ये जहां,
राहों में चल बस चलता जा,
ना खोज मंजिल है कहां।
थोड़ा सा दुख राहों में है,
फिर सुख की भी बरसात है,
तू सह लेगा गम आयेंगे,
यदि खुद पे तुझे विश्वास है।
धर्म के अनुरूप तेरा कर्म,
भी होता रहे,
सब कुछ वहीं पाता है,
राहों में जो सब खोता रहे।
मानवता की रक्षा तू कर,
इश्वर तू भी बन जाएगा,
दूजो के लिए कुछ कर सका,
घर घर में पूजा जाएगा।
- आदित्य कुमार
" बाल कवि "