चल चल रे राही

चल चल रे राही चलता जा,
तुझे राह में ना रुकना है,
रोड़े बहुत होंगे तुझे,
आगे ना उनके झुकना है।

ईमान ही मंजिल है तो,
सच्चाई का रास्ता भी चुन,
सपना है देखा तूने तो,
सपने को भी खुद ही तू बुन। चल चल........ जा-2

ना दूसरों की आस पे,
ना दूसरों कि सांस से,
जीना है और बढ़ना है,
तुझको खुद के ही विश्वास पे।

अंगारों पे जो चल सके,
पांव को तू सीतल बना,
ना छल हो तेरे मन में तू,
मन गंगा सा निर्मल बना। चल चल.........जा-2

आस तुझसे सब रखे,
तू दूसरों कि आस बन,
पग पग के रोड़े से तू लड़,
मानव की तू परिभाषा बन।

कामयाब बन इतना की,
दूजो के लिए कुछ कर सके,
सच मे तुझे ऐसा है बनना,
आस तुझ से सब रखे। चल चल........जा-2

इन्सानियत के रक्षा को,
तुझे मौत से भी लड़ना है,
एक मौत मरने से ना डर,
सौ मौत तुझको मरना है।

इश्वर ने तुझको भेजा,
धरती पे मानव रूप में,
जितना हैं छाओं में तू खुश,
उतना ही खुश रह धूप में। चल चल.........जा-2

ना डर कभी मेहनत से,
ये तकदीर तेरे हाथ है,
मंजिल में सच्चाई है तो,
इश्वर भी तेरे साथ है।

मानव का जो जीवन है,
ये जीवन तो केवल जेल है,
ना डर कभी मरने से राही
मौत केवल खेल है। चल चल........जा-2

                             - आदित्य कुमार

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