ठंडी आई ठंडी आई

ठंडी आई ठंडी आई संग में कंबल और रजाई,
कंबल से बाहर ना निकलो ठंडी आई ठंडी आई,
ठंडी बहुत पड़ेगी भयंकर कपड़े तुम पहनो भरपूर,
गर्म आग को ताप के थोड़ा ठंडी को करना है दूर।

गरम गरम पकवान बनेंगे गरम गरम ही खाना है,
पानी से भी दूर रहेंगे अच्छा एक बहाना है,
ठंडी ठंडी हवा चलेगी ये कर देगी ऐसे काम,
कपड़े यदि ना हो भरपूर तो सर्दी खांसी और जुकाम।

थर थर थर थर कांप रहे है जल्दी घुसो रजाई में,
गरम गरम खाने का जी है पकौड़े तलो कढ़ाई में,
कंबल ओढो बचो ठंड से, ठंड से देह बचाना है,
सर्दी और जुकाम से बचना थोड़ा कम ही सही नहाना है।

                                                 - आदित्य कुमार

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