मेरे प्यारे दादाजी.......😔
प्यार भरी उनकी वाणी में,
तन तन में प्रेम समाया था,
मेरे प्यारे दादाजी ने सबको,
जीवन जीना सिखलाया था,
हर विषय का ज्ञान उनको,
गणित के वो विद्वान थे,
पशुओं से भी था प्रेम उनको,
काफी अच्छे इंसान थे।
हम सब के गौरव थे दादाजी,
सबको मानवता सिखलाया था,
परिवार के आधार थे वो,
हमने गर्व से शीश उठाया था।
ज्ञान का सागर था उनमें,
प्रेम का गिरिवर भी था,
मित्र मेरे सबसे अच्छे,
उनमें मुझे इश्वर दिखा,
जब जब मेरे मन में,
कोई चिन्ता मुझे सताती है,
वो कैसे दूर करते थे,
उनकी बातें याद आती है,
मानना था उनका की,
हम सब प्राणी मशीन है,
जब तक है ताकत हममें,
तब तक ही जीवन रंगीन है,
शायद जाने से पहले हमे,
हिम्मत दिलाना चाहते थे,
शायद वो अवगत थे की,
मृत्यु के अब वो राह में थे।
मकरसंक्रांति का दिवस,
उन्होंने तन को त्याग था,
स्वर्ग के अधिकारी वो थे,
भाग कितना जागा था,
गृह को त्याग था अन्तिम,
इच्छा थी सब से मिलने कि,
शायद मंजूर ना इश्वर को था,
जो ख्वाइश उनके दिल ने कि,
जब तक पहुंचते पास उनके,
प्राण देह को छोड़ गए,
आंसू नहीं रुक रहे सबके,
सबसे थे मुख जो मोड़ गए,
कहते थे हर परिस्थिति में,
एक समान हमे रहना,
ना दुखी कभी होना है हमको,
सदा यही उनका कहना,
आना जाना लगा सभी का,
सब है इश्वर की माया,
ना अफसोस करो जाने का,
ना है कोई रहने आया।
आज उनकी पुण्यतिथि पे,
शत शत कोटि नमन उन्हें,
दादाजी याद बहुत आती है,
अरबों में मुझको एक मिले।
- आदित्य कुमार