राणा के राणा महाराणा
नौ मई को जन्मा वो मुगलों का काल बना आया था
वो शेरो का शेर मेवाड़ी धरती का ढाल बना आया था,
मन भी आजाद तन भी आजाद चाहा वो भूमि हो आजाद,
एक ही सोच पे था अड़ा मुगलों को करना है बर्बाद।
फिर बड़ा किया प्रयत्न बनाई बीस हजार कि राजपूत सेना,
सबको यही सिखाया कैसे मुगलों से राज्य हैं अपना लेना,
एक बड़ी लड़ाई का हल्दीघाटी में फिर आगाज़ हुआ,
आओ चलो देखे आगे फिर इसका क्या अंजाम हुआ,
एक दृश्य युद्ध का ये देखो है दोनो तरफ हथियार लिए,
यहां खड़ा है कोई भाला लेके, खड़ा है कोई कटार लिए,
अब शुरू हुआ संग्राम रक्त भी झड़ना सा बहने था लगा,
अब आर पार ही कर देंगे एक एक योद्धा कहने था लगा,
अब बारी आई लगा कयामत ही केवल घूमने आई थी,
उस मुग़ल के अफजल खान के सर को मौत चूमने आई थी,
राणा से वो टकराया स्वयं यमराज से उसकी भेंट हुई,
राणा के समुक्ख आया सबसे बड़ी ये उसकी खेद हुई।
अस्सी किलो का था तलवार उसी से राणा ने वार किया,
औकात भूल अफजल आया तो घोड़े सहित ही फाड़ दिया,
प्रयास बहुत अकबर ने किया पर नहीं झुके वो मेवाड़ी दूत,
जिनसे अकबर थर थर कांपा मुगलों के काल वो राजपूत।
- आदित्य कुमार