मानव के गुण
कदम उठा कदम बढ़ा,
ना रुक कभी तू राह में,
रोड़े तो होंगे ही मगर,
ना झुक तू उनके सामने,
मंजिल बहुत करीब है,
तू बस कदम बढ़ाए जा,
पर्वत अगर हो राह में,
उसे भी तू गिराए जा,
नसीब तेरा खुद बना,
संघर्ष कर कदम बढ़ा,
जीवन को अब सफल बना,
गगन को कदमों मे झुका,
उड़ान ऐसी भर की,
गूंज लाखो वर्ष तक रहे,
इतिहास के पन्नों में,
तेरा नाम अंत तक रहे,
दूसरो की बनके प्रेरणा,
तुझे निखरना है,
याद तुझको सब रखे,
कुछ ऐसा काम करना है,
नाम अमर कर तू अपना,
देह तो बदलता है,
मर गया तो क्या हुआ,
युगों में नाम चलता है,
और याद इतना रखना कि,
कभी ना क्रोध करना तुम,
ईमान मन में हो सदा,
कठिनाई से ना डरना तुम,
मदद सभी की करना,
सबके दिल में धड़कना तुम्हे,
सच का राह हो सदा,
है झूठ से बचना तुम्हे,
गुंगो की आवाज बन के,
लूलो का बनके हाथ,
लंगड़ों का पांव बन तुझे,
देना है सबका साथ,
जिस दिन ये सारे गुण,
भीतर तुम्हारे आएंगे,
मानव उस दिन बन जाओगे,
लोग प्रेरणा बनाएंगे।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"