महाभारत जारी होगा
मै ही कृष्ण, मै ही वासुदेव,
और मै ही यदुवंशी हूं,
मै ही राम, मै ही परशुराम,
और मै ही रघुवंशी हूं,
मै परमब्रह्म मै अविनाशी,
मै ही ब्रह्माण्ड का ब्रह्मा हूं,
और मै ही महेश मै ही काली,
मै मा दुर्गा जगदम्बा हूं,
कण-कण मे मेरा वास देख,
कण का मै अधिकारी हूं,
मै ही मानव और मै ही हूं पशु,
और मै ही नर और नारी हूं,
आज चला तू बांधने मुझे,
मै भी देखूं जंजीर तेरी,
क्या आज सफल हो पाएगा,
मै भी देखूं तकदीर तेरी,
जंजीर बढ़ा हे दुर्योधन,
देखूं क्या बांध सके मुझको,
ताकत क्या है जंजीर मे,
देखूं क्या साध सके मुझको,
विकराल रूप अब देख मेरा,
क्या अब भी मुझको बांधेगा,
जंजीर क्या इतनी बड़ी तेरी,
जो अब भी मुझको साधेगा,
जड़ा आंखे खोल के देख यहां,
हाथों में तीनों काल मेरे,
ये श्रृष्टि मेरे मुख में है,
पग के नीचे पाताल मेरे,
बाल काल में मैंने,
कितने ही शत्रु मार गिराए,
बाल काल में ही मैंने,
मईया को मैंने मुख में ब्रह्माण्ड दिखाए,
तेरे जैसे कितने ही,
पशुओं को मैंने देखा है,
तेरा वध अभी मै कर देता,
किन्तु आगे वचन का रेखा है,
भैया भीम की प्रतिज्ञा को,
मै ना खंडित होने दूंगा,
उनकी प्रतिज्ञा तोड़ के दुष्ट,
मै ना तेरे प्राण हरूंगा,
पापों की सीमा तूने लांघ दी है,
अब कर दे शुरू उलटी गिनती,
मै स्वयं तेरे दर पे आया,
पर तूने ना स्वीकारी विनती,
पांच गांव जो दे ना सका,
तुझ जैसा कौन भिखारी होगा,
चेतावनी तुझे देता हूं दुर्योधन,
अब महाभारत जारी होगा।
- अदित्य कुमार
"बाल कवि"