भूख
आज अचानक बैठे बैठे मै भी भूख पे सोचा हूं,
लिखने से पहले मै भी बन जाता भूखा तोता हूं,
बिन भोजन के भूखे बच्चे मार के मन सो जाते है,
ऐसे ही भूखे आगे चल आदमखोर हो जाते है,
जब तक एक एक व्यक्ति पेट भर के ना खायेगा,
तुम ही बताओ ऐसे भारत आगे कैसे जाएगा,
भूख और गरीबी मिटेगा दिलासा देके जाते है,
काफी ऐसे नेता है जो वोट खातिर आते है,
होके मजबूर हथियार वो उठाते है,
भ्रष्टाचार के गरीब जब शिकार बन जाते है,
चोरी और लूट जैसे मामलों में आज इजाफा है,
आखिर ऐसे ही ना खुशी से कोई हथियार लेके आता है,
भूखा कोई भी हो जलता आग बन जाता है,
भूखा इन्सान काफी खतरनाक बन जाता है,
गरीब भूखे सोए सदा सोए रह जाते है,
भूख से तड़पते अलविदा कह जाते है,
सब का एक जड़ भ्रष्टाचार को मिटाओ जी,
गरीबी को मिटाओ और गरीबों को बचाओ जी।
- अदित्य कुमार
"बाल कवि"