इश्वर का काम
मंदिर में एक मानव आया,
और बोला इश्वर से,
आज एक चीज के खातिर,
निकला हूं मै घर से,
बोले भगवन बोलो मानव,
इच्छा है क्या कहने की,
बोला मुझे इजाज़त देदो,
तुम्हारे पद पे रहने की,
केवल चौबीस घंटे खातिर,
मुझे बना दो तुम भगवान,
मुझे दिखाना तुमको है की,
कैसे करते है अपना काम,
बोले इश्वर आखिर क्यों,
बनना है तुमको भगवान,
बोला व्यक्ति क्युकी तुम ना,
सही से करते हो कोई काम,
प्रभु ने कहा ठीक है मानव,
पर एक शर्त रखूंगा मै,
बिन बोले केवल खड़ा रहोगे,
तभी तुमसे सीखूंगा मै,
व्यक्ति बोला ठीक है,
अब देखो कैसे करता हूं काम,
आज तुम्हे दिखलाऊंगा,
कैसे बनते है भगवान,
थोड़ी देर के बाद वहां एक,
पैसों वाला व्यापारी आया,
आते ही प्रणाम किया और,
उसने इश्वर के दूध चढ़ाया,
जब वो निकला मंदिर से,
उसके पैसे नीचे गिर गए थे,
वहां फिर आया एक किसान,
वो पैसे उसको मिल गए थे,
खुशी खुशी किसान वो पैसा,
रख के जेब में चला गया,
कुछ देर में वहां पे एक नाविक,
इश्वर की पूजा करने आया,
इतने में वो व्यापारी फिर आया,
पुलिस को लेके साथ,
नाविक को आके पुलिस वालों ने,
झट से पकड़ लिया था हाथ,
बोला सेठ पुलिस वालों को,
इसने ही पैसा मेरा है चुराया,
मेरे जाने के बाद मंदिर में,
एक यही है आया,
अब इश्वर से रहा न गया,
उन्होंने ने सच्चाई बतलाई,
किसान ने लिया है तेरा पैसा,
जाके पकड़ उसे मेरे भाई,
नाविक को सब छोड़ चले और,
जा किसान को पकड़ दिया,
चोरी का चला मुकदमा और,
किसान को जेल हुआ,
अब चौबीस घंटो के बाद वहां,
असली इश्वर फिर आ गए थे,
बोला व्यक्ति हे इश्वर,
कैसे काम है करते अब देखे,
मुस्कुराएं भगवन और बोला,
तुमने तो सब कुछ नाश किया,
दुष्ट सेठ की मदद करी और,
किसान को कारावास दिया,
वो सेठ था कपटी लोगो का,
पैसा छल कर के लेता था,
प्रतिदिन आके मंदिर में,
वो उजला पानी देता था,
तुमको दूध लगा लेकिन वो,
उजला पानी लाया था,
कैसे इश्वर तुम बने तुम्हे,
वो दुष्ट ही कैसे भाया था,
और जिस नाविक को तुमने,
आजाद कराया कोतवाल से,
उसकी मृत्यु भी हो गई,
समुद्र मे आए भीषण तूफान से,
यदि उसे ले जाते कोतवाल,
जीवन तो उसका बच जाता,
किसान की बेटी पड़ी कुंवारी,
उन पैसों से शादी कर पाता,
बोला व्यक्ति क्षमा करो,
ये काम ना मै कर सकता है,
जिसका काम उसी को साजे,
भगवान ना मै बन सकता हूं।।
- अदित्य कुमार
"बाल कवि"