प्रदूषण

कब तक सहेंगे कब हम कहेंगे,
खतरा है प्रदूषण से,
एक युद्ध हमे लड़ना होगा,
कब उतरेंगे हम इस रण मे,

इस पे ध्यान नहीं देंगे तो,
काल ये सबका बन जाएगा,
हर घर में कैंसर मिलेगा जब,
ये काल रूप अपनाएगा,

आस पास का कचरा हो,
तो साफ उसे करना होगा,
जो डस्टबिन खाली रहता,
अब हमे उसे भरना होगा,

जब इस परदुषण के कारण,
सबकी खुशीयां मिट जाएगी,
तब वो दिन भी दूर नहीं होगा,
पल पल पीढ़ी गलियाएगी,

उद्योग के रसायन जब,
काला धुआं बन के निकलेगा,
जब देह जलेगा प्रदूषण से,
फेफड़ा बर्फ सा पिघलेगा,

पीने का पानी ना होगा,
हर जल दूषित होगा जिस दिन,
जब बिन पानी के,
अपना कोई मूर्छित होगा जिस दिन,

याद आएगी तब ग़लती की,
फिर भी कुछ ना कर पाओगे,
क्यों ना अमल किया प्रदूषण पे,
केवल इस पे पछताओगे,

सोचो जिस पेड़ के पत्ते हो,
उस पेड़ को तुमने सूखा दिया,
और इन कुकर्मों को करके,
तुमने मानवता दिखा दिया,

वक्त तो कम है पर फिर भी,
जो वक्त है उसमे संभल जाओ,
खुद भी इस खतरे से बच लो,
और आनेवाली पीढ़ी भी बचाओ।

                         - अदित्य कुमार
                             "बाल कवि"

Popular Posts