हनुमान चले सिंधु के पार
देख समंदर बहुत विशाल,
कौन पार जाएगा अब,
राम की सेना चिंतित है,
खोज कौन लाएगा अब,
मा सीता की खबर मिली,
लंका के वाटिका में बैठी है,
मेरे राम एक दिन आएंगे,
सब से केवल ये कहती है,
तब सब की नजर अचानक से,
पड़ी बजरंगी के ऊपर,
बोले जामवंत है कपि श्रेष्ठ,
तुम्ही पार कर सको समंदर,
पवन पुत्र अब जागो तुम,
अपनी शक्ति को पहचानो,
शिव के अवतार हे हनुमान,
महसूस करो अब तुम जागो,
याद करो अपनी शक्ति,
बचपन में तुमको मिला था जो,
याद करो वो शक्ति कपिवर,
देवों ने तुमको दिया था जो,
लाख सभी ने याद दिलाया,
तब बजरंगबली थे जाग गए,
एक छलांग मारी पर्वत से,
सीधा सिंधु पार गए,
वो भक्त प्रभु श्री रघुवीर के,
उनको कौन भला रोके,
अपने प्रभु राम की शक्ति,
उन्होंने सिद्ध किया लंका जाके।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"