मित्रता मे धोखा

एक बार एक पेड़ पे बंदर,
जामुन चांप रहा था जी,
उसने देखा नीचे कोई,
 प्राणी हांफ रहा था जी,

जाके उसने देखा वहां पे,
मगरमच्छ खूंखार था,
काफी दोनों ने बाते की,
बन गया वो बंदर का यार था,

फिर उसने कहा हे मित्र,
मुझे कुछ जामुन तोड़ खिला दोगे,
शाम हो रही क्या अब ऐसे,
भूखे मुझे विदा दोगे,

बोला बंदर रुको यार,
अभी मै जामुन लाता हूं,
कुछ घर के लिए तुम ले जाना,
बांकि अभी तुम्हे खिलाता हूं,

फिर मगरमच्छ ने ख़ाके,
अपने घर की ओर प्रस्थान किया,
बंदर ने उसको विदा किया और,
उसे विनम्र प्रणाम किया,

घर जाके मगरमच्छ की पत्नी,
ने जब उस जामुन का स्वाद लिया,
ऐसी दुनिया में पहुंची वो की,
उसने उसको धन्यवाद किया,

पूछी हे नाथ कहां से,
मीठे जामुन लाए हो,
पेड़ पे तो तुम चढ़ नहीं सकते,
तो फिर कैसे ले आए हो,

बोला मेरा दोस्त है बंदर,
उसने मुझे दिया जामुन,
बोली पत्नी दिल कितना मीठा होगा,
जिसने तुम्हे दिया जामुन,

बोली मुझे ये जामुन ना,
देने वाले का दिल खाना है,
और तुम कान खोल सुनलो,
तुमको आज के आज ही लाना है,

मगरमच्छ बेचारा फिर गया,
वो दिख था रहा उदास,
बंदर ने कारण पूछा,
मगरमच्छ से आके पास,

मगरमच्छ ने झूठ बोला कि,
घर पे खाने पे चलना है,
भाभी ने तुम्हे बुलाया है,
चलके तुम्हे उससे मिलना है,

बंदर फिर तैयार हो गया,
दोनों पानी में निकल पड़े,
पर आगे जाके जो है सच्चाई,
मगरमच्छ के मुंह से निकल पड़े,

बंदर थोड़ा डरा मगर,
अपनी युक्ति अपनाई,
जान बचाने के खातिर उसने,
बुद्धि थोड़ी दिखलाई,

कहा मित्र जो पहले कहते,
दिल भी साथ में लाता मै,
भाभी ने मांगा खाने को,
तो उनको स्वयं खिलाता मै,

दिल तो पेड़ की कोठरी में,
मैंने संभाल के रखा है जी,
कहीं कोई मेरा दिल ना खाले,
इसलिए निकाल के रखा है जी,

मुरख़ मगरमच्छ उसे लेके,
वापिस गया किनारे पे,
जल्दी से बंदर चढ़ा पेड़ के,
टहनी के एक सहारे पे,

बोला मगरमच्छ हे दोस्त,
जल्दी से अपना दिल लेलो,
भाभी तुम्हारी है इंतजार में,
जल्दी मेरे पीठ पे बैठ चलो,

बोला बंदर देख ये लाठी,
इतना इससे मारूंगा,
तू मुझे मौत देना है चाहता,
जान के भी ये जाऊंगा,

उसने ऊपर से मारे पत्थर,
मगरमच्छ को भगा दिया,
परिस्थिति देख के मत डरना,
सिख ये भारी सीखा दिया।

 यदि जो बंदर डरता पानी में,
 तो आज यम के पास चला जाता,
 या मगरमच्छ के पेटों में,
 वो बैठा आज झाल बजाता।

                               - अदित्य कुमार
                                   "बाल कवि"

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