फौजी

प्राणों की बाज़ी लगा के,
जब कोई दुश्मन से लड़ता है,
हथियार सोभते हाथो मे,
श्रृंगार उसी का करता है,

एक फौजी वो चांद कहाता है,
जो चांद हमेशा रहता है,

हाथो मे बंदूक जिसे शोभे,
प्रकृति की मार भी सहता है,
हर परिस्थिति में राष्ट्र के खातिर,
सरहद पे अड़ा ही रहता है,

एक फौजी वो चांद कहाता है,
जो चांद हमेशा रहता है,

मौत को समझे कीड़ा जो,
जो मौत से कभी ना डरता है,
जो शहीद भी हो जाता,
पर जो मर के भी कभी ना मरता है,

एक फौजी वो चांद कहाता है,
जो चांद हमेशा रहता है।

                     - अदित्य कुमार
                        "बाल कवि"



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