नीलकंठ की महिमा
हे कण कण के अधिकारी भोले,
एक इशारे धरती डोले,
कृपा बनाए रखना हम पे,
भक्त तुम्हारे जय शिव बोले,
तुम हो तीन लोक के स्वामी,
विनती सुनलो हे मेरे नाथ,
जैसे साया रहता है,
वैसे तुम रहना मेरे साथ,
अमृत सब मे बांट दिया,
खुद विष अमृत सा बना दिया,
मेरे नीलकंठ भोले बाबा ने,
इस धरती को जीवन दान दिया,
वासुकी कालसर्प गर्दन में,
माला जैसा रखते है,
सिर पे शोभे चांद हमेशा,
सदा तपस्या मे रहते है,
आंख तीसरी खोल दे जब,
इस जग में प्रलय आ जाता है,
इसलिए तो इस जग का विनाशक,
मेरा शंभू कहलाता है,
इस शिवरात्रि पे हे शंभू,
मुझको आशीष ये देदो तुम,
हर एक प्राणी को खुश रखना,
बस ये आशीष मुझे देदो तुम।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"