जीवन फौजी का

मैं भारत का फौजी हूं दुख अपना तुम्हे सुनाऊंगा,
क्या क्या झेलना पड़ता है तुमको मै आज बताऊंगा,

रात के अंधियारे में जंगल बीच छिपे होते है हम,
आगे और सुनाऊंगा आंखे जब तक ना होगी नम,

मां मेरी घर के चौखट पे इंतज़ार मे बैठी है,
बेटा मेरा एक दिन आएगा बीच बाज़ार में कहती है,

पिता मेरे बूढ़े कंधों को एक सहारा देते है,
बेटा मेरा फौजी है इस आस पे ही जी लेते है,

बहन मेरी अपनी राखी पे हर दम गर्वित रहती है,
भाई है सरहद का रखवाला इससे हर्षित रहती है,

मेरी चांद सी बीवी घर पे सदा याद मुझको करती,
प्रेम है अपरम्पार उसे हर पल वो है मुझ पे मरती,

लेकिन भारत मां के हाथों आज बहुत मजबूर हूं मैं,
राष्ट्र की रक्षा करनी है इस कारण सबसे दूर हूं मैं,

हर ग़म हर दुख सह के भी इस बात से काफी हर्षित हूं,
भारत मां का सेवक हूं इस बात से काफी गर्वित हूं,

लेकिन दुख तब होता है जब बलिदान भुलाए जाते है,
हिन्दुस्तान की सांसद में जब हक भी खाए जाते है,

हम फौजी दिल जान लगा के देश की सेवा करते है,
राष्ट्र सदा के खातिर जिए इस खातिर हम मरते है,

लेकिन देश के नेताओं ने कुर्बानी को भुला दिया,
जो जीवन देश पे लूटा दिए उनका एक पेंशन खा ही लिया,

हे नेताओं जो देश पे मरते उनको पेंशन का हक क्यों ना?तुम एक दिवस के बने विधायक जीवन पेंशन से भरा हुआ,

यदि देश के राजकोष पेंशन मात्र की धन की कमी है तो,
केवल भारत के सेना ही क्यों नेता का पेंशन भी बन्द करो,

तुम जो देश को लूट रहे हो अपने काले कर्मो से,
केवल युद्ध कराते रहते फुट डाल के धर्मों में,

सेना भारत के है जिसके कारण ये हिंद सुरक्षित है,
लेकिन नेता भारत के इं सेनाओं के भी भक्षक है,

विनती है हाथ जोड़ के इनको हक वापिस इनका करदो,
यदि ना किया हक वापिस इनका तो तुम भारत के गद्दार ही हो।।

                                                 - आदित्य कुमार
                                                      "बाल कवि"








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