कसम कलम की
भारत मां को तन मन सौंप के मैंने कलम उठाया है,
सदा देश पे जान लुटाना कलम ने मेरे सिखाया है,
भारत मां की मिट्टी को मेरे कलमों का वादा है,
सदा देश पे जान लुटाऊं हर जन्मों का वादा है,
अंधियारे से लड़ना मुझको ये संकल्प किया हूं मैं,
यही सोच मन में रख हाथों में कलम लिया हूं मै,
जब जब राष्ट्र हो संकट में मैं प्रेम गीत ना गाऊंगा,
कलम को ही शमशीर बना के रणभूमि में आऊंगा,
रक्त गिरे जिन वीरों के उस रक्त की गाथा गाऊंगा,
आंख उठा के देखे दुश्मन, काल वहीं बन जाऊंगा,
राष्ट्र के खातिर के मैं अपना जीवन भी अर्पित कर दूंगा,
देश को मेरी जरूरत हो खुद को भी समर्पित कर दूंगा,
यदि जो देश के खातिर कोई कवि कभी भी मौन हुआ,
देश हो कड़ी विपत्ति में और कलमकार यदि गौण हुआ,
जीने का हक नहीं उसे, धरती पे रहने का अधिकार नहीं,
जो कलम देश का शत्रु हों वो कलम मुझे स्वीकार नहीं,
क्यों कि मेरी कलम ने सदा से ये संकल्प उठाया है,
देश को आगे रखना है ये कसम कलम ने खाया है,
इसीलिए मैं कलम उठा के देश के खातिर लिखता हूं,
मेरे लक्ष्य बहुत है बड़े बड़े बस उम्र में छोटा दिखता हूं।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"