मेरी कलम नहीं बिकती हैं
मेरी कलम नहीं बिकती है झूठ के बीच बाजारों में,
मेरी कलम नहीं लिखती है पक्ष लिए गद्दारों के,
मेरी कलम की क्या ताकत है आज तुम्हे बतलाता हूं,
इसी कलम से आज कलम की ताकत तुम्हे सुनाता हूं,
मेरी कलम सदा लिखती है वीरों की की कुर्बानी पे,
मेरी कलम सदा लिखती है देश के अमर कहानी पे,
मेरी कलम नहीं झुकती है कभी बुराई के आगे,
मेरी कलम नहीं रुकती है कभी लड़ाई के आगे,
मेरी कलम सदा गरीबों के संग खड़ी हुई होती,
देख के उन लोगों की हालत मेरी कलम सदा रोती,
मेरी कलम तो सदा तपी है अग्नि के अंगारों में,
मेरी कलम नहीं बिकती है झूठ के बीच बाजारों मे,
वीरों के जो रक्त गिरे है भारत मां की धरती पे,
उन वीरों के बलिदानों पे कलम सदा ही लिखती है,
यदि जो उन वीरों के खातिर किसी दिवस मैं गौण हुआ,
देश पे कड़ी विपत्ति आई और यदि मैं मौन हुआ,
तो इस दिन अपने जीवन का अंत वहीं मैं कर दूंगा,
देशभक्त कहलाने का अधिकार उसी दिन खो दूंगा,
लेकिन मुझे पता है कि वो दिन कभी ना आएगा,
क्युकी ये भारत का सपूत कभी नहीं बिक पाएगा,
मेरी कलम नहीं लिखती है दोषी के अधिकारों पे,
मेरी कलम नहीं बिकती है झूठ के बीच बाजारों मे।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"
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