इक्षा पुष्प की

शौक़ नहीं मुझको हे ईश्वर,
देवों के सिर आने का,
शौक़ नहीं मुझको हे ईश्वर,
पुष्पगंध कहलाने का,

मेरी इक्षा नहीं कभी है,
मृत के ऊपर सजने का,
मेरी इक्षा नहीं कभी है,
कृष्ण सा कोमल दिखने का,

एक इक्षा लेके बैठी हूं,
बस वो ही पूरा कर दो,
जिस पथ वीर सपूत हो निकले,
उस पथ मुझको बिखरा दो,

उनके कदम को छू लूंगी मै,
जीवन सफल हो जाएगा,
उनके अंगारों से मिलके,
मन शीतल हो जाएगा।

                  - आदित्य कुमार
                       "बाल कवि"


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