वक्त है कदम बढ़ाने की

वक्त है कदम बढ़ाने की,
आलस से काम नहीं होगा,
यदि कुछ ना कर पाए जीते जी,
आगे कभी नाम नहीं होगा,

ये देख है पर्वत राहों में,
देखने से पार नहीं होगा,
कोशिश कर तोड़ के बढ़ने की,
सच मे कभी हार नहीं होगा,

कष्ट बिना जीवन यदि चाहे,
शायद तुम इन्सान नहीं,
बस बैठा तू रह जाएगा प्यारे,
धरती पे तेरी पहचान नहीं,

अमृत की चाह मे निकला है,
थोड़ा तो जहर पीना होगा,
कांटों से मत डर ओ राही,
जीवन ऐसे ही जीना होगा,

पग पग पे कोई रोड़ा होगा,
तुझे गिराने आया होगा,
यदि हार गया उस रोड़े से,
बेबस तेरा काया होगा,

यदि आज डरा तू मेहनत से,
तो कभी आराम नहीं होगा,
वक्त है कदम बढ़ाने की,
आलस से काम नहीं होगा,
यदि कुछ ना कर पाए जीते जी,
आगे कभी नाम नहीं होगा।।

                         - आदित्य कुमार
                              "बाल कवि"

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