श्री चन्द्र शेखर आजाद
आज इस कविता में तुमको,
भारत का एक सिंह दिखाऊंगा,
भाभरा मे जन्मा वो सिंह,
आज उससे तुमको मिलाऊंगा,
वो योद्धा इस आजादी का,
आधा हकदार कहाता है,
भारत मां वो सिंह है जो,
खुद को आजाद बतलाता है,
गुस्ताखी सहन नहीं करता था,
भारत मा की शान में,
खुद का जीवन भी झोंक दिया,
आजादी के संग्राम में,
जब खत्म हो गई गोली,
दुश्मन इनके काफी पास आए,
इन्होंने ये सपथ लिया खुद मे,
जिंदा ये ना हमें पकड़ पाए,
इतना कह के बंदूक में,
बची हुई गोली को चला दिया,
खुद के माथे में मारी गोली,
अपने सपथ को ऐसे पूरा किया,
भारत के इस वीर को तुमने,
अब तक तो पहचाना होगा,
शायद ही कोई होगा जो,
अब भी इनसे अनजाना होगा,
श्री चन्द्र शेखर आजाद,
मन भी आजाद तन भी आजाद,
जो बैरी सम्मुख आए इनके,
इन्होंने कर डाला बर्बाद,
आज भारत के इस योद्धा को,
भूल यदि जाए कोई,
ईश्वर से दुआ करूंगा उस जैसा,
इस धरती पे ना आए कोई।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"