नारी तुमको जगना होगा
नारी मां है नारी बेटी, नारी बहन कि प्रतिमा है,
पुरुषों से भी ज्यादा हर क्षेत्र में इनके प्रतिभा है,
लेकिन छोटी सोच के कारण नारी को दबाया जाता है,
केवल घर में नारी को रहना है अबला बतलाया जाता है,
नारी को घर के चौखट के बाहर आने ना देना,
कुछ बनने की आस है उसको फिर भी बनने ना देना,
यदि पति की मृत्यु हो गई साथ जलाया जाएगा,
इस कुप्रथा को सबके द्वारा सतिप्रथा बताया जाएगा,
कैसे तुमको आज बताऊं नारी पे क्या क्या बीती है,
कोई हक ना नारी को था जीने की अपनी मनमौजी रीति से,
फिर कोई आया आगे इस प्रथा को बंद कराने को,
नारी को जीने का हक है नारी सम्मान बचाने को,
सतीप्रथा तो बंद हुई लेकिन फिर भी नारी खुशहाल नहीं,
एक और दहेजप्रथा थी जो नारी के खातिर काल बनी,
आज दहेज के चलते जन्मी बेटी को कलंक बतलाते है,
पल भर की जन्मी बेटी को मौत के मुंह गिराते है,
आखिर कब तक सहोगी नारी अब तुमको जगना होगा,
अत्याचार जो तुम पे होते उसके विरुद्ध लड़ना होगा,
बेटी होना हर घर में एक गुनाह सा क्यों हो जाता है,
क्यों दहेज के खातिर लाखों बेटी को मारा जाता है,
जागो नारी वक्त है अब हाथों में तलवार उठाने का,
जो कहते है नारी अबला है उनको शक्ति दिखलाने का,
दुर्गा नारी काली नारी हो तुम मां जगदम्बा नारी,
आज सिद्ध करना है खुद को लक्ष्मीबाई बनने की बारी,
किसी के खातिर कोई ना लड़ता खुद तुमको लड़ना होगा,
लोग तुम्हे पीछे करते आगे तुमको बढ़ना होगा,
नए नए राक्षस नारी तुम्हे नोचने आएंगे,
एहसास करो तुम शक्ति का कुछ भी ना वो कर पाएंगे।
कृपाण उठाओ हे नारी केवल चूड़ी से काम नहीं होता,
घर के चौखट के अंदर रहने से नाम नहीं होता,
जागो नारी तलवार उठाओ शत्रु का संहार करो,
तुम मां दुर्गा जग जननी हो अपनी शक्ति का एहसास करो।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"