मराठा सिंह शिवाजी
सुन दहाड़ है सिंह मराठा झुका कभी ना झुकेगा वो,
स्वयं हिमालय खड़ा मार्ग में रुका कभी ना रुकेगा वो,
तलवारों की वो चमक देख, सूरज सा मुख पे दमक देख,
उस में शंभू महाकाल देख, औरंगज़ेब तू उसमे काल देख,
रण में उतरा शेर मराठा जीत ही लेके जाएगा,
जो शत्रु सम्मुख आया उसका शीश ही लेके जाएगा,
हिंद देश के हर कोने में केसरिया फैलाएगा,
अब एक शिवाजी आया है ये हिंद शिवा बन जाएगा,
जीजाबाई का सपूत आशीष भवानी का उसपे,
दुर्गा काली का आशीष और महाकाल बसता उसमे,
हाथों में लिए बाघनख़ वो वीर शिवाजी आया है,
लाखों अफजल से लड़ने को वो एक अकेला आया है,
उसके एक हुंकार मात्र से शत्रु थर थर कांप रहा,
भय को भय है होता उससे है वो मराठा सिंह शिवा।।
- आदित्य कुमार
(बाल कवि)