तिरंगा का सम्मान

कोई भी हो मगर झंडे की तुम अपमान ना सहना,
तिरंगे के सपूतों को कभी गुमनाम ना कहना,
जिसे लगता तिरंगा है महज एक वस्त्र के माफिक,
तो तुम उन जैसे नीचों को कभी प्रणाम ना कहना,

की वीरों की सहादत से तिरंगा आज लहराता,
बलिदानों के खूनों से तिरंगा आस्मा पाता,
ये ना केवल रंगा है तीन रंगों का कोई कपड़ा,
कितने ही बलिदानों के बदले है ये बन पाता,

जिन्हे ना है समझ आता तिरंगा है किसे कहते,
जिन्हे लगता है की झंडा है बस एक मामूली कपड़ा,
उन्हे बतला दूं ये कपड़ा नहीं ये हिंद पूरा है,
ये भारत आज झंडे के बिना आधा अधूरा है।

की भूला जो तिरंगे को उसे जीने का हक ना है,
की जिसके दिल में झंडे के लिए अहमियत ना है,
उसे तो डूब मरना चाहिए चुटकी भर पानी में,
की उस जैसों का धरती पे कोई कीमत ना है,

ये एक झंडा है ऐसा जो है खूनों से रंगा जाता,
इसी खातिर तिरंगा ये इश्वर सा है कहलाता,
मेरे नजरों मे तो ये झंडा है इश्वर के बराबर जी,
लहू बलिदानी शहीदों सदा झंडा है दर्शाता।।

                                       - आदित्य कुमार
                                            (बाल कवि)






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