ये वक्त है आगे बढ़ने का

चलो चलो अब बढ़े चलो ये वक्त है प्रखर निखरने का,
आगे कोई भी पर्वत हो वक्त है शिखर पे चढ़ने का,

राह भरे है कांटों से पर तुमको तो बढ़ना होगा,
पर्वत कोई भी आए तुमको उसपे चढ़ना होगा,

तुम हो भारत की संताने चौरा सीना कर के बोलो,
दुश्मन लाखों सम्मुख होंगे तलवारों पे उनको तौलो,

चीर के सीना दिखला दो तुम शेर नहीं डरते है कभी,
मौत से डरना कभी नहीं क्योंकि वीर नहीं मरते है कभी,

तुम अंगारों के राही हो कभी राह सरल ना होता है,
जो बैठा पैरों को पसारे देखो कैसे रोता है,

इसीलिए जगो हुंकार करो ये वक्त है आगे बढ़ने का,
कृपाण उठाओ प्रहार करो ये वक्त नहीं है डरने का,

चलो चलो अब बढ़े चलो ये वक्त है प्रखर निखरने का,
आगे कोई भी पर्वत हो वक्त है शिखर पे चढ़ने का।।

                                              - आदित्य कुमार
                                                   "बाल कवि"



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