कलम उठाओ क्रांति लाओ
कलम उठाओ क्रांति लाओ नवयुग का निर्माण करो,
आलस्य त्याग दो साथ में मिलके चलो नया कोई काम करो,
राष्ट्र सेवा में तन मन सौंपों दिल और जान लगा दो तुम,
नव सपूत हो धरती के तुम दुनिया को दिखला दो तुम,
हार को हार नहीं मानो उस हार को जीत बनाना है,
कलम उठा के क्रांति लाओ नवयुग तुम्हे बनाना है,
हो जाओ तैयार देश पे संकट ना कोई आने दो,
आंखों में अंगारे भर देह को शोला बन जाने दो,
ज्वाला ऐसा जला लो खुद मे सद्दियों तक जलता रह जाए,
तुम रहो या ना इस धरती पे पर याद कभी ना मिट पाए,
हर दिन कुछ नया करो प्यारे जीवन को सफल बनाने को,
बस ये गुण ही अपना लो खुद को मानव कहलाने को।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"