राही तुमको तन जाना है।

हृदय में ज्वाला जला जीत की मंजिल तुझको पाना है,
हर एक रोड़ा हर एक पर्वत से लड़ के बढ़ते जाना है,

मां बाप के एक विश्वास हो तुम,
मंजिल के काफी पास हो तुम,

जो हसते तुमपे आज तुम्हे उनको कुछ कर दिखलाना है,
लक्ष्य पे चलो निशाना साधो मंजिल तुमको पाना है,

खुद मे हिम्मत रखना राही,
जीत का स्वाद चखना राही,

हार को जीत बदलना है बस दुनिया को दिखला दो तुम,
अपनी ताकत से ओ राही पत्थर को भी पिघला दो तुम,

कर्तव्य के पथ पे चलना है,
राहों में तुम्हे संभलना है,

भारत मां की संतान हो तुम भारत को गर्वित करना है,
तुम शेर_ए_दिल हो ओ राही तुमको कभी ना डरना है,

ज्वालाओं से भरा है सीना,
बिन मंजिल के व्यर्थ है जीना,

हाथो मे उठा के अंगारे तुम नभ में ये हुंकार भरो,
मंजिल पाकर ही सोना है तुम आलस का संहार करो,

इतिहास बनाना है तुमको,
जीत से रंग जाना है तुमको,

तू थकने वाला कभी नहीं, तू रुकने वाला कभी नहीं,
खुद की ताकत महसूस तो कर, तू झुकने वाला कभी नहीं,

हार नहीं स्वीकार करो तुम,
जीत बिना ना आना है---

तुम अंबर के पंछी हो वायु तुमको बन जाना है,
मंजिल तुम्हे पुकार रही राही तुमको तन जाना है।।

                                    - आदित्य कुमार
                                         "बाल कवि"













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