जी हां मैं बिहार हूं।

बुद्ध की तपस्या हूं मै, ज्ञान का बहार हूं,
कृष्णा जी का चक्र हूं मैं भागवत का सार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं, जी हां मैं बिहार हूं।।

चाणक्य जी की नीति हूं अशोक की तलवार हूं,
सीता मां की धरती मैथिली का संस्कार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं जी हां मैं बिहार हूं।।

युद्ध नीति मे माहिर मैं स्वयं बिन्दुसार हूं,
मगध की धरती मेरी मैं वीरों का ललकार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं जी हां मैं बिहार हूं।।

गांधी जी का सपना हूं राजेंद्र का आभार हूं,
महावीर जी का प्रेम कुंवर सिंह का हुंकार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं, जी हां मैं बिहार हूं।।

मगध की धरती हूं मैं इतिहास का आधार हूं,
अपनों की जीत हूं मैं शत्रु का संहार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं जी हां मै बिहार हूं,

बिहार केसरी श्री कृष्ण सिंह की दहाड़ हूं,
माननीय जगजीवन राम की पुकार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं, जी हां मैं बिहार हूं।।

पटना के गोलघर का गोल मैं आकार हूं,
नालंदा के विश्वविद्यालय के छात्रों का संसार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं जी हां मैं बिहार हूं।।

गंगा मां की लहरों संग खेलता बौछाड़ हूं,
गंगा यमुना सरस्वती का संगम परिवार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं जी हां मैं बिहार हूं।।

भारत की पहचान हूं मैं आदर सत्कार हूं,
हर दिन उल्लास मेरा रोज़ एक त्योहार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं, जी हां मैं बिहार हूं।।

पीछे हूं विकास में बस इसलिए लाचार हूं,
आज दुनिया के नजर में मैं बना बेकार हूं,
दुख मुझे है आज भ्रष्टाचार का शिकार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं जी हां मैं बिहार हूं।।

इतिहास मेरा देखो प्यारों कैसा मैं बिहार हूं,
इस देश की ऊंचाई में मैं भी हिस्सेदार हूं,
धर्मों का परिवार हूं मैं प्रेम का बाजार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं जी हां मैं बिहार हूं।।

मेरा पूरा नाम देखो हिंद की पहचान हूं,
पर ना जाने दुनिया से आज क्यों अनजान हूं,
कितना दिया है देश को ये गिनने में लाचार हूं,
भारत मां का नीव हूं मैं जी हां मैं बिहार हूं।।

                                      - आदित्य कुमार
                                          "बाल कवि"







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