लौट पाओगे ना फिर दुबारा यहां
नफरतें जितना हो खत्म कर दो यहां,
कौन जाने दुबारा मिलन हो कहां,
तोड़ दो नफरतों के इस दीवार को,
जिंदगी है मिली मुस्कुराके जियो,
एक बात याद रखना ओ साथिया,
लौट पाओगे ना फिर दुबारा यहां।।
प्रेम से भर दो तुम नफरतों का कुंवा,
एक बार देखो कैसा लगे ये समां,
प्रेम के बनके देखो परिंदा जरा,
सदियों तक याद तुमको करे ये जहां,
एक बात याद रखना ओ साथिया,
लौट पाओगे ना फिर दुबारा यहां।।
दिल में सिकवा हो कोई चलो भूल के,
चेहरे पे ले खुशी मस्ती में झूल के,
जिनसे ग़लती हो माफ उनको करते चलो,
सबसे मिल जो सके उन रंगों में ढलो,
खुद में होगी खुशी तुमने है जो किया,
एक बात याद रखना ओ साथिया,
लौट पाओगे ना फिर दुबारा यहां।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"