घर की यादें भूल गए। ghar ki yaadein bhul gye
वतन तेरी रक्षा के खातिर,
घर की राहें भूल गए,
तुझपे मर मिटने के खातिर,
घर की यादें भूल गए।
घर की राहें भूल गए हम,
घर की यादें भूल गए,
भूल गए उस मां का आंचल,
इस मां के आंचल में पड़े,
भूल गए उस बाप के कंधे,
कंधों पे हथियार चढ़े,
घर की राहें भूल गए हम,
घर की यादें भूल गए,
तान के सीना उतर गए है,
सरहद के मैदानों में,
मौत से भय अब खतम हो चुका,
कीमत भूले प्राणों के,
घर की राहें भूल गए हम,
घर की यादें भूल गए,
दुश्मन को ना जीने देना,
अब यही मकसद लिए चले,
काल भी झुक जाता है,
जब भारत माता की जय कहे,
घर की राहें भूल गए हम,
घर की यादें भूल गए।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"