उन पशुओं को आजाद करो।
मानव अपनी खुशियों खातिर,
क्या क्या तुमने कर डाला,
बेजुबान मासूम प्राणों पर,
लगा दिया तुमने ताला,
जंगल के राजा से लेकर,
महा भीमकाय गजराज,
आसमान के शान परिंदे,
पड़े तुम्हारे कैद में आज,
क्या पढ़ा कभी उन आंखों को?
जिनसे आंसू आते रहते,
जड़ा गौर से कुछ पल देखो उन्हे,
वो बेजुबान है क्या कहते?
वो मांग रहे है आजादी,
मानव के अत्याचारों से,
अब करो स्वतंत्र हमे जाने दो,
मानव के करागारों से,
होठ नहीं खुल रहे मगर,
महसूस करो उन चीखों को,
अब बहुत हो गया अन्याय,
उन पशुओं को आजाद करो।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"