नाता धरती से
बंधी है भूमि जंजीरों मे,
बढ़ो वीर आजाद करो,
कर्तव्य का पथ है जटिल बड़ा,
तुम चलो इसे आसान करो,
ये आजादी कि चिंगारी है,
प्राण गंवाने की बारी है,
चिता सजाना होगा तुमको,
लहु बहाना होगा तुमको,
चलो बढ़ो हे क्रांतिकारी,
धरा है तुम्हे पुकार रही,
जगो देश है संकट में,
अब हो जाए ना देर कहीं,
सिंचो रक्त से धरा को अपने,
तुम हो महाकाल अवतार,
कब तक कैद रखोगे कर के,
आंखों में है जो अंगार,
भारत के शेरों अब जागो,
भेड़िए घुस गए है घर में,
ये प्रेम के आदि नहीं है,
इनको दूर खदेड़ो अब लड़ के,
एक जन्म न्योछावर कर दो,
अपने भारत माता पे,
आज दिखा दो दुनिया को,
धरती से जो अटूट नाता है।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"