भगवान परशुराम
पाप विनाशक हे अवतार,
तपोबल से किया धरा उद्धार,
तुमने इस धरती माता को,
अत्याचार से किया आजाद,
विष्णु जी के छठे रूप,
ब्राह्मण समाज की शान हो तुम,
तुम भक्त महाशंभू के हो,
और ऋषियों का अभिमान हो तुम,
देख तुम्हारा क्रोध हे प्रभुवर,
कण कण कांप गया भय से,
पापी देख तुम्हे डरते है,
उनका काल आ गया हो जैसे,
हाथों में है परशु तुम्हारे,
आंखों में तपोबल झलके,
यदि क्रोध तुम्हे आ जाए तो,
खतरे में ये कण कण झलके,
हे विश्वनाथ हे त्रिलोकी,
हर संकट से हमे बचाना,
हाथ जोड़ के विनती है,
प्रभुवर सदा निज आशीष बरसाना।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"