मत बिकने दो हिंदी को।

शब्द जननी संस्कृत को बेचा,
मत बिकने दो हिंदी को,
भारत मां के बिंदी को, मत बिकने________को।

हिंदी मातृभाषा है अपनी,
ना जाने क्यों आज है जख्मी,
इसको आज बचा तुम लो।
भारत मां के बिंदी को, मत बिकने________को-2

हिंदी हमे सिखाती जीना,
विष को भी अमृत सा पीना,
गर्व से शीश उठा के बोलो।
भारत मां के बिंदी को, मत बिकने ________को-2

सीखो सभी विदेशी भाषा,
मत तोड़ो हिंदी से नाता,
हिंदी से ना संकोच करो।
भारत मां के बिंदी को, मत बिकने_________को-2

हिंदी है पहचानी हमारी,
विश्व में भाषा सबसे प्यारी,
हिंदी का सम्मान करो।
भारत मां के बिंदी को, मत बिकने_________को-2

जय हो हिंदी हिंदुस्तान,
मिलके आज करो गुणगान,
गर्व से हिंदी हिंद कहो।
भारत मां की बिंदी को, मत बिकने________को-2

            - आदित्य कुमार
                 (बाल कवि)



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