अभिमान का स्थान
उस सा बड़ा ना पंडित कोई,
ना उस सा कोई ज्ञानी था,
पर रावण केवल हार गया,
क्यों कि वो एक अभिमानी था,
लाखों सेना कौरव संग थी,
बस पांडव पांच बेचारे थे,
फिर भी पांडव जीते,
कौरव अभिमान के चलते हारे थे,
सदा से इस इतिहास में,
अभिमानी का स्थान नहीं,
अरबों का भले ही मालिक हो,
फिर भी मिलता सम्मान नहीं!
इसीलिए अपने दिल में कभी,
अभिमान ना आने देना,
अपने मन मस्तिष्क पे कभी,
उसको स्थान ना पाने देना।
- आदित्य कुमार
(बाल कवि)